आपदा प्रबन्धन के इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में राकेश जायसवाल, समन्वयक, आपदा प्रबन्धन केन्द्र, देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा बतौर मास्टर ट्रेनर प्रतिभाग किया गया। उनके द्वारा पी0आर0डी0 जवानों को आपदा क्या है ? आपदा प्रबन्धन के चरण क्या है ? उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति के आधार पर आपदाएं कितने प्रकार की होती है ? उनसे बचाव के लिए तैयारी कैसे करनी चाहिए? पी0आर0डी0 जवानों को अपने क्षेत्र में अपनी डृयूटी के साथ-साथ जन जागरुकता कैसे फैलायंे आदि विभिन्न विषयों पर गहराई से प्रशिक्षण व आपदा प्रबन्धन के गुर सिखाये गये। इसके अतिरिक्त उन्होेंने भूकम्परोधी भवनों के लिए सावधानी अपनाने तथा बाढ़, भूकम्प आदि से बचाव तथा आपदा प्रबन्धन टीम को कैसे गठित करें आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभाग से आये डाॅ0 अमन चावला, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, ज्वालापुर तथा डाॅ0 नमिता पुरी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ज्वालापुर ने भी फस्ट ऐड किट के बारे में जानकारी देते हुये सांप, बिच्छू, कुत्ते आदि के काटने से बचाव के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी एवं आपदा अथवा किसी भी दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित को किस प्रकार अस्पताल तक पहुंचाना तथा कौन सा फस्ट ऐड कैसे दिया जाना है, का प्रशिक्षण दिया।
प्रशिक्षण के दौरान रश्मि पन्त, सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी तथा श्री विजेन्द्र नेगी, प्रोजेक्ट ट्रेनर द्वारा भी रोड सुरक्षा के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए, उससे बचाव के उपाय आदि के बारे में जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया गया कि रोड सुरक्षा के दृष्टिगत छह नियमों-रेड लाईट जम्प, आवर लोडिंग, वाहन चलाते हुए मोबाईल का प्रयोग न करना, गति नियत्रण, अत्यधिक भार वाहन का प्रयोग, नशे के दौरान वाहन का प्रयोग करना, का पालन करना अनिवार्य है। अन्यथा की स्थिति में लाईसेन्स कम से कम 03 माह, 06 माह या उससे अधिक समय के लिए जब्त किया जा सकता हैं आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी।
मीरा रावत आपदा प्रबन्धन अधिकारी ने प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने वाले समस्त प्रतिभागियों से प्रशिक्षण के सम्बन्ध में फीड बैक प्राप्त करते हुये, भविष्य में आयोजित होने वाले प्रशिक्षणों को बैहतर बनाये जाने हेतु उनके सुझाव भी प्राप्त करते हुये धन्यवाद ज्ञापित किया।