
उत्तरकाशी, उत्तराखंड:
“साहब, हमें भी सड़क से जोड़िए, हम भी इस देश के नागरिक हैं।” यह मार्मिक अपील उत्तरकाशी के पिलंग गांव के उन ग्रामीणों की है, जो आजादी के 76 साल बाद भी सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़क स्वीकृत होने के बावजूद, विभागीय लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी के कारण यह गांव अब भी मुख्य सड़क से नहीं जुड़ सका है।
10 किलोमीटर पैदल चलने की मजबूरी
उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में स्थित पिलंग गांव, जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। बावजूद इसके, यहां के निवासी आज भी 10 किलोमीटर की विषम पैदल यात्रा करने को मजबूर हैं। यह स्थिति तब है, जब प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत 2021 में इस गांव के लिए सड़क निर्माण की शुरुआत हुई थी।
आधी पीढ़ी ने नहीं देखी सड़क
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यहां की आधी पीढ़ी ने सड़क को केवल कल्पना में देखा है। ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं एक बड़ी चुनौती हैं। बीमार व्यक्तियों को या तो डंडियों के सहारे अस्पताल पहुंचाया जाता है या फिर गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी रास्ते में ही हो जाती है।
पुल न बनने से अटका सड़क निर्माण
सड़क निर्माण कार्य में लगी संस्था पीएमजीएसवाई का कहना है कि 4 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो चुका है, लेकिन 48 मीटर का एक छोटा पुल न बनने के कारण आगे का कार्य रुका हुआ है। पुल निर्माण का ठेका ब्रिडकुल को दिया गया है, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के चलते पिछले चार वर्षों में भी पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका।
ग्रामीणों का आक्रोश: आर-पार की लड़ाई की चेतावनी
ग्रामीण अब आर-पार के मूड में हैं। उनका कहना है कि यदि एक सप्ताह के भीतर पुल निर्माण का काम शुरू नहीं किया गया, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। इसका खामियाजा उत्तराखंड सरकार को भुगतना पड़ सकता है।
सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल
एक तरफ भारत ने चांद पर तिरंगा लहराकर विज्ञान में अपनी प्रगति का प्रमाण दिया है, वहीं दूसरी तरफ आज भी पिलंग के ग्रामीण सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि उत्तराखंड सरकार की विकास योजनाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।अब देखना होगा कि क्या सरकार और संबंधित विभाग इस मामले को गंभीरता से लेकर इन ग्रामीणों को सड़क की सौगात दे पाते हैं, या फिर यह गांव विकास की राह देखता रह जाएगा।