हरिद्वार – उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुहिम लगातार गति पकड़ रही है, लेकिन इस अभियान को उसी पार्टी के एक हारे हुए विधायक का व्यवहार सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। पुलिस जहां सड़कों पर नशे के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है, वहीं यह विधायक चेकिंग के दौरान पकड़े गए शराबी चालक को छोड़वाने के लिए पुलिस पर दबाव डालता दिखा।
घटना तब शुरू हुई जब हरिद्वार पुलिस की टीम ने रूटीन चेकिंग के दौरान एक कार को रोका। चालक नशे की हालत में मिला, जिसके बाद पुलिस ने तय प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई शुरू कर दी। तभी फोन करते हुए भाजपा के एक पूर्व विधायक ने कार्रवाई रोकने और चालक को छोड़ देने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया। पुलिस ने कार्रवाई जारी रखी तो विधायकीय रौब बेअसर हो गया और यहीं से पुलिस के खिलाफ विधायक की नाराज़गी बढ़ी।
इसके बाद मामला तब और बिगड़ा जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक कार्यक्रम में हरिद्वार पहुंचे। कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा घेरे के कारण पुलिस अधिकारियों ने हारे हुए विधायक को प्रोटोकॉल के तहत रोक दिया। बस फिर क्या पूर्व विधायक आपा खो बैठे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विधायक ने पुलिस को यह कहते हुए खरी-खोटी सुनाई कि
मेरे कार्यकर्ता को नशे में पकड़कर इज्जत उतारी और अब मुझे भी रोक रहे हो? शराब तो पुलिस भी पीती है।पुलिस अधिकारियों ने शांत रहते हुए उन्हें सुरक्षा प्रोटोकॉल समझाने की कोशिश की, पर विधायक अपनी पहली ‘हार’ का गुस्सा निकालते रहे। विधायक की यह बदसलूकी जहां कार्यक्रम में मौजूद लोगों को हैरान कर गई, वहीं पुलिस महकमे में भी नाराज़गी की चर्चा है।
इस पूरे प्रकरण ने मुख्यमंत्री धामी की नशा-मुक्त उत्तराखंड मुहिम की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
जब चेकिंग के दौरान भाजपा के ही कुछ नेता शराबी चालकों की पैरवी कर रहे हों, तो पुलिस अभियान को कितना निर्भीक होकर चला पाएगी?
स्थानीय लोगों का कहना है कि
अगर अभियान को सफलता दिलानी है तो नेताओं को भी अपने शब्द और व्यवहार पर नियंत्रण रखना होगा। नशे के खिलाफ पुलिस लड़ रही है, लेकिन राजनीतिक दबाव ऐसे ही मामलों में सबसे बड़ी बाधा बनता है।फिलहाल पुलिस विभाग इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से बच रहा है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कार्यक्रम में सुरक्षा में तैनात टीम ने घटना की पूरी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है।
