हरिद्वार:- आध्यात्मिक संस्था शांतिकुंज के शताब्दी वर्ष समारोह में आज महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) पहुंचे। कार्यक्रम का पैमाना बड़ा था, मीडिया कवरेज भी व्यापक, लेकिन राज्यपाल की बाइट के दौरान जिस अव्यवस्था ने राष्ट्रीय और रीजनल चैनलों के पत्रकारों को सबसे अधिक परेशान किया, वह थी वेब पोर्टलों और कथित पत्रकारों की अव्यवस्थित भीड़।वास्तविक पत्रकारों के अनुसार यह कोई पहली घटना नहीं है हर बार VIP मूवमेंट में यही दृश्य दोहराया जाता है। बिना सत्यापन, बिना किसी अधिकृत पहचान के कई लोग माइक आईडी और ‘प्रेस’ लिखे टैग लेकर सबसे आगे धक्का-मुक्की करते दिखाई देते हैं, जिससे मीडिया कवरेज में बाधा पैदा होती है।
इसी मुद्दे को लेकर आज कई राष्ट्रीय चैनलों और न्यूज़ एजेंसियों के पत्रकारों ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन में मांग की गई कि VIP कार्यक्रमों में गैर-सत्यापित पोर्टल और कथित पत्रकारों को अनुमति न दी जाए और वेव पोर्टल वाले पत्रकारों को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ही आधिकारिक फोटो-वीडियो उपलब्ध कराए, ताकि भीड़ नियंत्रण में रहे।
वेब पोर्टल चलाने वालों तथा स्वयं को पत्रकार बताने वालों का सत्यापन अनिवार्य किया जाए।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए कहा कि वे जिला सूचना अधिकारी और पुलिस अधिकारियों के साथ जल्द एक बैठक की जाएगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि पत्रकारों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाएगी, जिससे भविष्य के कार्यक्रमों में ऐसी अव्यवस्था न पैदा हो।
हरिद्वार में बढ़ रही ‘कथित पत्रकारों’ की फौज, असली पत्रकारों का काम हुआ मुश्किल।
जिले में पिछले कुछ वर्षों में ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है जो स्वयं को पत्रकार बताते हैं, लेकिन न उनके पास मान्य प्रेस आईडी होती है, न कोई प्रामाणित संगठन से जुड़ाव। शहर और गांवों में इन “कथित पत्रकारों” की पहुंच इतनी बढ़ चुकी है कि सरकारी अस्पताल, ब्लॉक, स्कूल टैक्सियों और पार्किंग स्थलों बाजार, दुकानों और गैस एजेंसियों हर जगह वे अपने ‘प्रेस’ टैग के नाम पर दबाव बनाते और विवाद खड़े करते पाए जा रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक कई लोग मामूली वेब पोर्टल तैयार कर उसके नाम से मिलते-जुलते लोगो बनवाकर नेशनल-रीजनल चैनलों जैसा माहौल खड़ा कर देते हैं। कई पोर्टलों में खबरें प्रकाशित ही नहीं होतीं, लेकिन माइक आईडी और ‘प्रेस’ स्टिकर लेकर वे VIP कवरेज में सबसे आगे जगह घेर लेते हैं।
पुलिस प्रशासन भी परेशान सत्यापन के आदेश मिलते ही होगी सख्त कार्रवाई।
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रेस लिखे वाहनों और कार्ड लिए घूमने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि असली-नकली की पहचान ही चुनौती बन गई है। जैसे ही जिला प्रशासन से आदेश आएंगे, सूचना विभाग की अधिकृत सूची के आधार पर सख्त जांच की जाएगी और कथित पत्रकारों पर कार्रवाई होगी।मिली जानकारी के अनुसार कई कथित पत्रकार तो ऐसे मामलों में भी सबसे पहले पहुंच जाते हैं जहाँ उन्हें केवल प्रभाव दिखाना होता है न कि खबर बनानी।
वरिष्ठ पत्रकार चिंतित ‘पत्रकारिता की साख पर पड़ रहा दाग’
शहर के वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि फर्जी पत्रकारों की इस बाढ़ ने न सिर्फ पत्रकारिता की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि समाज में पत्रकारों के प्रति गलत धारणा भी पैदा की है।वे कहते हैं कि प्रेस क्लब और सक्रिय संगठनों में वास्तविक, अनुभवी पत्रकार मौजूद हैं, लेकिन उनकी पहचान इन कथित पत्रकारों के शोर में दब जाती है।
शांतिकुंज कार्यक्रम में हुई अव्यवस्था ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि हरिद्वार में पत्रकारों के सत्यापन की प्रक्रिया अब अत्यंत आवश्यक हो चुकी है।जिलाधिकारी द्वारा SOP बनाने का आश्वासन वास्तविक पत्रकारों में उम्मीद जगाता है, लेकिन जिले में फैले फर्जी प्रेस कार्ड, वेब पोर्टल और कथित रिपोर्टरों पर रोक लगने के लिए अब ठोस कार्रवाई की जरूरत है।
