
संपादक -मनोज कश्यप
हरिद्वार – जहां युवाओं का नाम आता है वहां कई सपने सजाए जाते हैं युवाओं को देश का भविष्य आने वाला कल जैसी कहावतों के नाम से बुलाया जाता है जब किसी प्रदेश व जिले से कोई एक युवा भी किसी प्रतियोगिता या की सरकारी नौकरी क्षेत्र में आगे बढ़ जाता है तो उससे पूरे प्रदेश व जिले का नाम रोशन हो जाता है ओर बधाई देने वालों का भी ताता लगा जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश हरिद्वार जिले के युवाओं की नसों में अब जोश नहीं नशा दौड़ रहा है, जो दिन प्रतिदिन युवाओं की व्यवस्था को बर्बाद कर रहा है इतना ही नहीं जिले में स्मैक जैसे नशे का भी कारोबार खूब फल फूल रहा है। धूम्रपान ,शराब, भांग गांजा सहित स्मैक जैसे खतरनाक नशे में हरिद्वार के युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। हरिद्वार शहर क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र व सिडकुल क्षेत्र में नशे का कारोबार खूब फल फूल रहा है इसकी गवाही रोजाना होने वाली पुलिस की कार्रवाई दे रही है। लेकिन पुलिस की है कार्यवाही ऊंट के मुंह में जीरा देने वाली बात साबित होती है , क्योंकि युवा और खासतौर से बाहर से आ कर रहने वाले लोग अपनी दिन भर की कमाई स्मैक व शराब के नशे में उड़ा देते हैं। पुलिस रोजाना अवैध नशे के खिलाफ मामूली कार्रवाई को अंजाम देती नजर आती है लेकिन नशे के बड़े-बड़े सौदागर अपना कारोबार धड़ल्ले से चला रहे है।
जनपद में स्थानीय व बाहरी लोगों की आबादी बढ़ने से बढ़ रहा है अवैध नशे का कारोबार है।
हरिद्वार में इंडस्ट्रीज एरिया व सिडकुल होने के कारण ग्राम सलेमपुर रानीपुर, बहादराबाद, रोशनाबाद,रावली महदूद सहित आसपास के क्षेत्रों में बढ़ रहा अवैध नशे व स्मैक का कारोबार।
जनपद हरिद्वार सिडकुल स्थित सैकड़ों फैक्ट्री है जिस कारण सिडकुल के आसपास स्थित गांव में दिन प्रतिदिन आबादी बढ़ती जा रही है उत्तराखंड उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य व जनपदों से लोग सिडकुल की फैक्ट्रियों में नौकरी करने के लिए आते है। सड़कों पर सुबह से लेकर शाम तक दर्जनों युवा स्मैक के नशे में घूमते हुए मिल जाते हैं इतना ही नहीं जब इन युवकों के पास नशा करने के लिए पैसा नहीं होता तो वह चोरी जैसी घटनाओं को भी अंजाम दे देते हैं। नशा करने वालों में अधिकतर 16 साल से लेकर 25 साल तक की उम्र के युवा अधिक चिन्हित किए जा रहे हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन के द्वारा समय-समय पर इन लोगों के ऊपर कार्रवाई की जाती है लेकिन अवैध नशे का कारोबार करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। लेकिन यहां यह भी कहना गलत नहीं होगा कि अवैध नशे कारोबारियों को पुलिस व सफेदपोश नेताओं का संरक्षण खुब मिलता है क्योंकि जब पुलिस के द्वारा किसी अवैध नशे कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई करके उसे जेल भेज दिया जाता है , उसके तुरंत बाद ही उसी स्थान पर नशे का कारोबार किसी अन्य व्यक्ति द्वारा या फिर जिस व्यक्ति के ऊपर कार्रवाई की जाती है उसके द्वारा ही शुरू कर दिया जाता है । और पुलिस सालों साल जाकर उस स्थान को दोबारा चेक नहीं करती यह बात पुलिस विभाग के ऊपर कई सवाल खड़े करती है। और यह कहावत तो सबने सुनी होगी कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, मुजरिम को पाताल से भी ढूंढ निकालते हैं तो फिर कानून के हाथ नशे के कारोबारियों तक क्यों नहीं पहुंच पाते हैं। हरिद्वार शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सैकड़ों स्थानों पर अवैध नशे के कारोबार चले गए हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
अगर हरिद्वार की स्थानीय लोगों की बात की जाए तो उनका कहना है कि अब उनको एक ही बात की चिंता सताती रहती है कि कहीं उनके बच्चों को भी नशे की लत ना लग जाए स्थानीय निवासियों ने बताया कि 100 ,200 500 रुपए से लेकर इससे अधिक दामों पर अवैध नशे की पुड़िया बेची जा रही है। लोगों का कहना है कि कई बार पुलिस के द्वारा छापेमारी कर के एक आध गिरफ्तारी की जाती है और कार्रवाई नहीं पर खत्म हो जाती है।
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