
कांवड़ मेले की तैयारियों में प्रशासन झांकियां सजा रहा है लेकिन सवाल ये है कि सड़क किनारे बिकता ज़हर किसकी निगरानी में है?
हरिद्वार – धर्मनगरी हरिद्वार की सड़कों पर इस वक्त चटपटे फास्ट फूड का ऐसा अघोषित साम्राज्य खड़ा है, जो हर दिन हजारों लोगों को बीमार कर रहा है,बिना रोक, बिना जांच और बिना जवाबदेही। और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिन विभागों को इस पर लगाम कसनी चाहिए, वहीं अबतक खामोश तमाशबीन बने हुए हैं।आगामी दिनों में हरिद्वार में कांवड़ मेले की शुरुआत होने जा रही है। लगातार सभी अधिकारियों के द्वारा कावड़ मेले को सकुशल सम्पन्न कराने को लेकर बैठक की जा रही है। कावड़ से पहले हरिद्वार की सड़कों पर चटपटे फास्ट फूड का जाल बिछ चुका है। भेलपुरी, गोलगप्पे, मोमोज, तले आलू और टिक्की की महक हर गली-चौराहे पर ग्राहकों को लुभा रही है। लेकिन जिस चीज़ को लोग स्वाद से खा रहे हैं, वही उनके शरीर में ज़हर भी भर रही है और सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्थानीय निवासी ही सबसे ज़्यादा इस खतरे की गिरफ्त में हैं।
कांवड़ से पहले ‘बासी’ तैयारी, खुले में ‘गंदगी का स्वाद’
हरकी पैड़ी, ऋषिकुल, सुभाष घाट से लेकर भीमगौड़ा तक हर कोने पर ठेले, गाड़ियां, और छोटे तंबू में बन रहा है ‘खास स्वाद’ जो किसी भी स्वास्थ्य मापदंड पर खरा नहीं उतरता। मोमोज, चाउमिन, भेल, टिक्की और दहीबड़े जैसे स्ट्रीट फूड्स खुले में, धूल और मक्खियों के बीच बनते-बिकते हैं, जहां न तो पानी फिल्टर होता है, न ही इस्तेमाल हो रहा तेल जांचा जाता है।
स्थानीय लोग ही सबसे ज्यादा चपेट में।
हरिद्वार के सिडकुल की कंपनियां में हजारों युवक काम करते है जब कुछ युवकों से फास्ट फूड को लेकर बात की गई तो उहोंने बताया कि वह कंपनी से लौटते हुए समय हर रोज़ शिवालिक नगर में लगने वाली रेडी पटरी से फास्ट फूड ज़रूर खाते हैं युवकों ने बताया कि ये स्वाद कहीं और नहीं मिलता। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या वे इन चीज़ों की साफ-सफाई को लेकर सतर्क रहते हैं, तो उनका जवाब था, की इस बारे में कभी सोचा नहीं।इसी तरह एक स्थानीय गृहिणी भी बताती है कि बच्चे रोज़ कोचिंग के बाद बाहर से मोमोज खाते हैं, मना करो तो कहते हैं घर में वैसा स्वाद नहीं बनता।लेकिन इस स्वाद के पीछे छिपे खतरों को लेकर डॉक्टर भी चेतावनी दे रहे हैं । डॉक्टर के मुताबिक गंदे तेल, बासी सामग्री और खुले में बिकने वाला यह फास्ट फूड फूड पॉइज़निंग, टायफॉइड, पेचिश और स्किन एलर्जी जैसी बीमारियों का कारण बन रहा है।
खाद्य विभाग की नींद अब भी नहीं टूटी!
जब हरिद्वार की सड़कों पर साफ दिख रहा है कि बिना FSSAI लाइसेंस के फास्ट फूड बिक रहा है, तो सवाल उठता है,खाद्य विभाग अब तक क्या कर रहा था?
जब इस मसले पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय कुमार सिंह से पूछा गया तो उनका जवाब था,अभी हाल में चार्ज लिया है, टीमें बनाई जा रही हैं, कांवड़ से पहले निरीक्षण शुरू होगा।लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने लंबे समय से चल रही इस अवैध फूड इंडस्ट्री को रोकने के लिए कार्रवाई सिर्फ कांवड़ मेले तक ही सीमित होगी?