हरिद्वार –UKSSSC पेपर लीक मामले में SIT की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। मास्टरमाइंड खालिद भले ही अब पुलिस की गिरफ्त में हो, लेकिन उसकी निशानदेही पर जांच की परतें हर दिन और खुल रही हैं। बुधवार को दून पुलिस खालिद को हरिद्वार के बहादरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज लेकर गई और सीन रीक्रिएट कराया। यहां खालिद ने कुछ ही सेकंड में साढ़े छह फीट ऊंची दीवार लांघकर कॉलेज में दाखिल होकर सबको चौंका दिया। जांच में यह भी सामने आया कि खालिद परीक्षा से पहले दो बार रेकी कर चुका था और एक दिन पहले कॉलेज की दीवार फांद सीसीटीवी कैमरों से बचाता हुआ अंदर आया और झाड़ियों में मोबाइल छिपाया था।
सरकार ने इस मामले में कई सख्त कदम उठाए हैं – सेक्टर मजिस्ट्रेट के.एन. तिवारी को निलंबित किया गया, टिहरी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को पेपर हल कर भेजने के आरोप में सस्पेंड किया गया, परीक्षा केंद्र पर तैनात दारोगा रोहित कुमार और सिपाही ब्रह्मदत्त जोशी को भी हटाया गया। हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में SIT इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है।
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है – परीक्षा केंद्र के व्यवस्थापक धर्मेंद्र सिंह चौहान पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? धर्मेंद्र सिंह चौहान केवल परीक्षा केंद्र के व्यवस्थापक ही नहीं हैं, बल्कि भाजपा के जिला मीडिया संयोजक भी हैं। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें मौजूद हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस कमरे (नंबर 9) में खालिद ने परीक्षा दी, वहां काली कुर्सियों के बीच केवल एक नीली कुर्सी रखी गई थी और खालिद को उसी पर बैठाया गया था। कमरा नंबर 10 में भी नीली कुर्सियों के बीच केवल एक काली कुर्सी रखी गई थी। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह व्यवस्थापक की जानकारी में नहीं था? क्या यह खालिद के लिए किसी खास संकेत के तहत की गई विशेष व्यवस्था थी ताकि उसकी गतिविधियों को नजरअंदाज कर दिया जाय! यह सवाल और बड़ा तब हो जाता है जब सोचा जाए कि परीक्षा के दौरान खालिद मोबाइल से फोटो खींच रहा था और कक्ष में मौजूद इनविजिलेटर को इसकी भनक तक नहीं लगी।
अब पूरा फोकस SIT पर है कि क्या भाजपा के इस पदाधिकारी व्यवस्थापक को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा या फिर यह मामला कुछ अहम सवालों को अनुत्तरित छोड़कर खत्म कर दिया जाएगा।
