August 4, 2025
870146cd-f9cd-4e69-a1f7-1034ace3840d

आज मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार, श्रीमती आकांक्षा कोंडे ने विकासखंड नारसन के श्री राधे कृष्णा सीएलएफ के अंतर्गत “माही स्वयं सहायता समूह” द्वारा स्थापित डेयरी और माही मिल्क बार का भौतिक भ्रमण और निरीक्षण किया। यह पहल ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से सीबीओ स्तर के उद्यमों के तहत स्थापित की गई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से नारसन ब्लॉक के सिकंदरपुर मवाल गांव की “माही स्वयं सहायता समूह” की महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। सीएलएफ और समूह की महिलाओं ने सीडीओ को बताया कि पहले समूह की महिलाएं अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर दुग्ध उत्पादन का कार्य कर रही थीं। उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी और वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रही थीं।

ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा “माही स्वयं सहायता समूह” को ग्राम मुंडलाना में स्थापित ‘श्री राधे कृष्णा सी.एल.एफ. से वर्ष 2023-24 में समूह को इंडियन ओवरसीज बैंक द्वारा ₹3,00,000 का ऋण दिलाया गया। इसके अतिरिक्त, समूह ने स्वयं ₹1,00,000 और ग्रामोत्थान परियोजना ने ₹6,00,000 का अंशदान व्यवसाय को बढ़ाने के लिए किया। इस वित्तीय सहायता से समूह के पास कार्यशील पूंजी और स्थायी पूंजी का अभाव समाप्त हो गया, जो उनके व्यवसाय के विस्तार में बाधा बन रहा था।

fab157a3 a503 4ee0 abe7 0e1b237eb1c7

आज, “माही स्वयं सहायता समूह” पूरे उत्साह के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ा रहा है। वर्तमान में उनका दुग्ध उत्पादन 250 लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 450 लीटर प्रतिदिन हो गया है। समूह द्वारा आंचल डेयरी तथा रुड़की, मंगलौर व मोहम्मदपुर स्थित 5 स्थानीय डेयरियों पर प्रतिदिन 350 लीटर दूध का विक्रय किया जा रहा है। इसके साथ ही, समूह ने मंगलौर में ‘माही डेयरी’ के नाम से एक सफल आउटलेट भी शुरू किया है, जहाँ प्रतिदिन 100 लीटर दूध का उपयोग विभिन्न उत्पादों जैसे दही (25 लीटर), लस्सी (25 लीटर), पनीर, मावा, मक्खन आदि बनाने में किया जाता है, तथा 25 लीटर दूध का विक्रय स्थानीय लोगों में किया जाता है। ‘माही मिल्क बार’ आउटलेट द्वारा प्रतिदिन ₹5,000-₹7,000 की बिक्री प्राप्त की जा रही है।

व्यवसायिक विवरण के अनुसार, समूह प्रतिदिन 450 लीटर दूध ₹50 प्रति लीटर की दर से खरीदता है, जिसकी लागत ₹22,500 आती है। वे इसे ₹55 प्रति लीटर की दर से बेचते हैं, जिससे ₹24,750 की बिक्री होती है। इस प्रकार, उन्हें प्रतिदिन ₹2,250 का सकल लाभ होता है, जो प्रतिमाह ₹67,500 हो जाता है। सभी खर्चों (मासिक परिवहन खर्च ₹7,500, मासिक लेबर खर्च ₹10,000, मासिक बिजली खर्च ₹1,000) को घटाने के बाद, समूह को प्रतिमाह ₹49,000 का शुद्ध लाभ हो रहा है। वर्तमान में, समूह के लाभार्थी अपने परिवार की सभी मूलभूत आवश्यकताओं को आसानी से पूर्ण कर पा रहे हैं, और बच्चे अच्छी शिक्षा व भरपूर पोषण प्राप्त कर रहे हैं। “माही स्वयं सहायता समूह” की यह सफलता ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना, उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास समिति और जिला प्रशासन हरिद्वार के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस भ्रमण/निरीक्षण के दौरान जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना, वाईपी आईटी श्री अमित सिंह, ग्रामोत्थान परियोजना, खंड विकास अधिकारी नारसन श्री सुभाष सैनी, बीएमएम प्रशांत, एमएंडई राशिद, एलसी हीना, एग्रीकल्चर ललित, और सीएलएफ की समस्त बीओडी एवं स्टाफ उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *