हरिद्वार -“दीपक तले अंधेरा” यह कहावत अक्सर व्यंग्य में कही जाती है, लेकिन इस बार यह बिल्कुल सटीक बैठती है हरिद्वार के खाद्य सुरक्षा विभाग कार्यालय पर। दरअसल, जिस इमारत में खाद्य सुरक्षा विभाग का कार्यालय स्थित है, उसी के ठीक सामने दर्जनों फूड ट्रक और ठेले रोज़ाना खुलेआम खाद्य सामग्री बेच रहे हैं ,बिना किसी वैध फूड लाइसेंस के।
हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी भी दुकान या गाड़ी पर फूड लाइसेंस डिस्प्ले तक नहीं किया गया है, जबकि नियम के अनुसार फूड लाइसेंस का सार्वजनिक प्रदर्शन अनिवार्य है। जब एक फूड ट्रक संचालक से इस बारे में सवाल किया गया, तो उसने कहा कि उसका लाइसेंस मोबाइल में है। सवाल उठता है अगर फूड लाइसेंस है, तो उसे दिखाने में या दुकान पर लगाने में क्या हिचक है?
इस मामले पर जब खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय कुमार सिंह से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा कि उनकी पोस्टिंग के बाद से वे लगातार कांवड़ मेले में ड्यूटी पर हैं और उन्हें अन्य क्षेत्रों में निरीक्षण का समय नहीं मिल सका है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या खाद्य सुरक्षा विभाग का दायित्व केवल कांवड़ मेले तक सीमित रह गया है? क्या विभाग अपने दफ्तर के ठीक सामने बैठकर भी नियमों की अनदेखी कर रहा है? क्या इससे पहले कभी विभाग ने इन ठेलियों की जांच नहीं की?
यह स्थिति न केवल शासन-प्रशासन के ढीले रवैये को उजागर करती है, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की गंभीर तस्वीर भी सामने रखती है।
अब देखना होगा कि इस खबर के उजागर होने के बाद क्या विभाग नींद से जागता है या फिर ‘दीपक तले अंधेरा’ यूं ही कायम रहेगा।
