संवाददाता- गौरव व्यास
हरिद्वार – सरकारी विभागों में ट्रांसफर पॉलिसी सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित रह गई है। हरिद्वार और रुड़की दो ऐसे स्थान बन गए हैं जहां सरकारी कर्मचारियों को अपनी पोस्टिंग इतनी रास आ गई है कि ट्रांसफर के बाद भी वो अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। कुछ कोर्ट का सहारा लेकर तो कुछ विभागीय सिफारिशों से स्टे हासिल कर अपनी मनचाही तैनाती बनाए हुए हैं।
परिवहन विभाग और तहसील रुड़की इसका बड़ा उदाहरण बन चुके हैं। रुड़की की एआरटीओ रॉक्सी ऑलविन मैडम का तबादला कुछ समय पहले कर्णप्रयाग एआरटीओ के रूप में हुआ था, लेकिन दो ही दिन के भीतर स्टे ऑर्डर लेकर वे फिर उसी कुर्सी पर लौट आईं। वहीं तहसील रुड़की के रजिस्ट्रार कानूनगो मनोज पांडे, जिन पर बिना पैसे काम न करने के आरोप लगते रहे हैं, उनका भी ट्रांसफर हुआ था, लेकिन अब भी वे उसी पद पर जमे हैं।
नगर निगम रुड़की की स्थिति भी अलग नहीं है। रिश्वतखोरी से जुड़ी ऑडियो वायरल होने के बावजूद न किसी कर्मचारी का तबादला हुआ, न किसी अधिकारी पर कार्रवाई। यही नहीं, पुलिस विभाग को छोड़ दें तो शायद ही किसी सरकारी दफ्तर में पिछले लंबे समय से कोई ट्रांसफर प्रभावी हुआ हो।
कुल मिलाकर, हरिद्वार और रुड़की सरकारी सिस्टम में “आरामगाह” बन चुके हैं जहां अफसरों की कुर्सी नहीं, बल्कि कुर्सी अफसरों की होती है।
