हरिद्वार – दीपोत्सव की ज्योति से आलोकित हरिद्वार में जहां संपूर्ण नगर दीपमालाओं से दमक रहा था, वहीं गमनागमन कार्यालय के प्रांगण में दिवाली का उल्लास कुछ भिन्न रूप में दृष्टिगोचर हुआ। कार्यालय में दिवाली के अवसर पर “सफेद लिफाफा वितरण समारोह” का आयोजन किया गया था, किंतु इस आयोजन ने कथित लोकवार्तासंचारकों के मध्य असंतोष की अग्नि प्रज्वलित कर दी।
सूत्रों के अनुसार, गमनागमन कार्यालय में 500 ग्राम, 2 किलो और 5 किलो भार के मिठाई लिफाफे तैयार किए गए थे। परंतु वितरण की प्रक्रिया किसी स्वर्गीय स्पर्धा से कम नहीं रही बताया जा रहा है कि लिफाफा प्राप्त करने से पूर्व उपस्थित जनों को अपना नाम और निकाय परिचय एक मधुर गीत या भजन के रूप में प्रस्तुत करना पड़ता था। कहा गया कि जिसकी वाणी जितनी सुरीली, उसके लिफाफे में उतनी ही मात्रा में मिठाई!
कुछ कथित लोकवार्तासंचारकों ने तो गमनागमन देवता के समक्ष पूरा कीर्तन तक प्रस्तुत किया, परंतु उन्हें भी केवल 500 ग्राम का प्रसाद रूपी लिफाफा ही प्राप्त हुआ। इस तथाकथित ‘मिठाई समानता यज्ञ’ में हुए भेदभाव से कई लोगों ने अपनी नाराजगी प्रकट की।
कथित वार्ताहरों ने इस प्रसंग को “मिठाई नहीं, मनोभावों की तौल” करार दिया और कहा कि गमनागमन निकाय जैसे संस्थान में भी यदि स्वर की मधुरता से प्रसाद का परिमाण तय होगा, तो फिर नियम और न्याय केवल शास्त्रों तक ही सीमित रह जाएंगे।
हरिद्वार में दीपोत्सव की ज्योति भले ही चारों दिशाओं में आलोक बिखेर रही हो, पर गमनागमन निकाय के इस आयोजन ने मिठास में व्यंग्य और प्रसाद में पक्षपात का स्वाद घोल दिया है।
